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Thursday, 27 June 2019

हमारे जीवन का अनमोल व कड़बा सच/सत्य पार्ट-5


जीवन है तो सब कुछ है इसलिए अपने जीवन को समझना है तो यह बात जरुर पढ़े ताकि आप अपने जीवन को सही से समझ सके| जीवन का सत्य ही हमारे लिए बहुत लाभ दायक है इसलिए इन बातो तो ध्यान से पढ़ना और ध्यान से समझना है आओ अब हम शुरू करते है

(1)
सफल जीवन के लिए एक प्रेरक-सूत्र है –“ छोटो को देखकर जिओ,बड़ो को देखकर बढ़ो, अच्छे के लिए प्रयास करो और बुरे के लिए तैयार रहो|” तुम्हारे पास स्कूटर है तो अपनी नजर छोटी साइकिल पर् रखना,बड़ी कार पर नहीं, बस तुम सुखी रहोगे| बड़ो से आगे बढ़ने की प्रेरणा लेना , क्योकि दुनिया में जो महापुरुष है वे केवल पूजने के लिए नहीं है प्रेरणा लेने के लिए भी है| अच्छे के लिए प्रयास करना , क्योकि प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता है और बुरे के लिए तैयार रहना क्योकि बेटा कभी भी मुंह मोड़ सकता है और दोस्त कभी भी साथ छोड सकता है |
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(2)
बीडी और सिगरेट तो केवल मानव के लिए जहर है लेकिन शराब तो पूरी मानवता के लिए जहर है| नदी ,तालाब और समुन्द्रो में डूबकर अब तक जितने लोग नहीं मरे होंगे उससे भी कही ज्यादा लोग शराब के प्याले में डूबकर मर चुके है इस अंगूर की बेटी ने पता नही कितनी माँ के बेटो का बेडा-गर्क कर रखा है| दुनिया अगर शराब नाम की चीज न होती तो दुनिया का नक्शा ही कुछ और होता| इस नशे ने व्यक्ति ,परिवार ,समाज ,देश और दुनिया की दशा और दिशा दोनों बिगाड़ रखी है | शराब पिए तो यह सोचकर पिए कि अब मै आत्म-ह्त्या कर रहा हूँ |
(3)
 आलू-बड़ा ,मिर्ची-बड़ा ,दही-बड़ा के अलावा आज एक और बड़ा का नाम समाज में आया है और वह है “मै-बड़ा” | गृहस्थ कहता है –मै-बड़ा | साधू कहता है – मै–बड़ा| मेरा कहना है कि न गृहस्थ बड़ा है और न साधू बड़ा है बल्कि जो इस “मै-बड़ा” के लफड़े से दूर खड़ा है वह बड़ा है| गृहस्थ और साधू दोनों अधूरे है क्योकि दोनों एक दुसरे पर निर्भर है 24 घंटे गृहस्थ को साधू की जरुरत पड़ती है तो 1 घंटा साधू को भी आहार (खाना खाने के लिए) गृहस्थ की जरुरत पड़ती है| श्रावक और मुनि धर्म-रथ के दो पहिये है  और कोई भी रथ एक पहिये से नहीं चलता| इसलिए किसी को भी मै-बड़ा के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए|

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